शिक्षामित्रों ने फिर मांगा समता का अधिकार
एटा: रविवार को शहीद पार्क में चली शिक्षामित्र संघर्ष मोर्चा की बैठक में हाईकोर्ट के फैसले पर पलटवार करते हुए विधि का प्रश्न खड़ा कर दिया। उन्होंने कहा कि जब अनुभव के आधार पर वकील हाईकोर्ट का जज हो सकता है तो फिर पंद्रह साल के अनुभवी शिक्षामित्र शिक्षक क्यों नहीं हो सकते।मोर्चा के पदाधिकारियों ने कहा कि भारतीय संविधान से मिला समता का अधिकार सभी लोगों के लिए बराबर होना चाहिए।
इसमे किसी भी प्रकार का भेदभाव संविधान की अवमानना के समान है। जब दस से पंद्रह वर्ष का हाईकोर्ट में प्रेक्टिस का अनुभव रखने वाला वकील हाईकोर्ट के जज की गरिमामयी कुर्सी पर नियुक्त हो सकता है तो फिर सरकारी स्कूलों में बच्चों का पढ़ाने का पंद्रह साल का अनुभव रखने वाले शिक्षामित्रों को भी इसी समता के अधिकार के अंतर्गत शिक्षक बनाया जाना चाहिए। यह समता के अधिकार की अनदेखी करना सरकार के लिए भारी पड़ेगा।बैठक में डा. राजपाल सिंह, आशुतोष उपाध्याय, रामबहादुर वर्मा, कृपाल सिंह, राजेश गुप्ता, अवधेश यादव, मनोज यादव, सुद्योतकर यादव, आलोक मिश्र, मौहम्मद इशाक, विपिन राघव, आशा यादव, किरन शर्मा, प्रियंका वाष्ण्रेय, पंकज चौहान, संतोष यादव, यशवीर सिंह वर्मा ने अपने विचार व्यक्त किए।1इस अवसर पर प्रदीप राना, रमाकांत भारद्वाज, राजेश कुमार, पंकज गोस्वामी, मोनू चौहान, हरिकांत, होशियार सिंह, वीना सैंगर, सुखवीर सिंह, अरुण कुमार, पप्पू यादव, शैलेंद्र यादव, प्रियंका यादव, मीनेश यादव, अनिल यादव, किरन शाक्य, महेंद्र सिंह समेत काफी संख्या में शिक्षामित्र मौजूद थे।
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