ये भर्तियां अटकीं हैं।
925 प्रधानाचार्यों की भर्ती - यह भर्ती 2011 से अटकी हुई हैं। उस समय विवाद उठा तो भर्तियां टल गईं। माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड ने पिछले साल फिर साक्षात्कार की प्रक्रिया की। इसी बीच चयन बोर्ड पर ही धांधली के आरोप लगने लगे। बोर्ड के पदाधिकारियों में विवाद इतना बढ़ गया कि बोर्ड के सचिव, उप सचिव और अध्यक्ष तक को हटना पड़ा। अब तीनों पदाधिकारी नए हैं।
1200 शिक्षकों की भर्ती - ये भर्तियां भी 2011 से रुकी हुई हैं। इसमें प्रवक्ता और सहायक अध्यापकों की भर्तियां होनी थीं। उस समय चयन बोर्ड का कोरम पूरा न होने के कारण मामला कोर्ट में पहुंचा था। चयन बोर्ड में 10 सदस्य होते हैं लेकिन जब इसकी शुरुआत हुई तो बोर्ड में पांच सदस्य भी नहीं थे। बाद में 2013 में कोरम पूरा हुआ तो फिर बोर्ड ने परीक्षा की तारीख घोषित कर दी लेकिन उसके बावजूद आज तक कोर्ट की रोक नहीं हट सकी है।
7000 शिक्षकों की भर्ती - जब 2011 की भर्तियां रुकीं तो बोर्ड ने 2013 में 7000 शिक्षकों की नई भर्तियां का विज्ञापन निकाल दिया। चूंकि 2011 वाली भर्तियों से कोर्ट की रोक हटी नहीं, इस वजह से अभी तक 2013 वाली भर्तियों के लिए भी प्रवेश परीक्षा नहीं कराई जा सकी।
" हमारी कोशिश है कि जल्द साफ-सुथरे ढंग से भर्तियां हों। पुरानी भर्तियों का कोर्ट में जो विवाद है, उसे भी निपटाने के लिए हम अपना पक्ष रखेंगे। उम्मीद है जल्द ही विवाद निपट जाएंगे। यही वजह है कि हम नई भर्तियां ऑनलाइन कराना चाहते हैं, ताकि कोई विवाद न हो। इसके लिए जिलों से खाली पदों का ब्योरा मांगा जा रहा है। कुछ जिलों से ब्योरा आ भी गया है। "
- डॉ़ परशुराम पाल, अध्यक्ष माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड•दीप सिंह, लखनऊ
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