शिक्षामित्रों की नियुक्ति में केंद्र से राहत मिलना लगभग तय
नईदिल्ली :उत्तर प्रदेश में कोर्ट-कचहरी में उलझी शिक्षामित्रों की नियुक्ति में केंद्र से राहत मिलना लगभग तय है। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट किया है कि 2010 से पहले नियुक्त हुए शिक्षक और शिक्षामित्रों को सेवारत शिक्षक की श्रेणी में रखा गया है। इसलिए उन्हें शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) उत्तीर्ण करने की अनिवार्यता नहीं है। एनसीटीई के नियमों के तहत ऐसे शिक्षकों को पांच साल में पेशेवर प्रशिक्षण प्राप्त करना अनिवार्य है।
केंद्र दाखिल करेगा जवाब: पिछले महीने इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य में 1.72 लाख शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक पद पर नियुक्त करने की प्रक्रिया रद्द करने के आदेश दिए थे। उसमें कई बातों को आधार बनाया गया था और यह भी कहा था कि बिना टीईटी उत्तीर्ण किए उम्मीदवार को शिक्षक नियुक्त नहीं किया जा सकता। टीईटी के मुद्दे पर केंद्र अपने रुख पर कायम है और इस मामले में आगे सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल करेगा।सहानुभूति भरा रुख:
एनसीटीई के अध्यक्ष प्रोफेसर संतोष पांडा ने हिन्दुस्तान को बताया कि परिषद का रुख शिक्षामित्रों के प्रति सहानुभूतिपूर्ण है और इसके नियम भी स्पष्ट हैं। परिषद ने 2010 में जारी अपने नियमों में शिक्षामित्रों को सेवारत शिक्षक माना है और उन्हें प्रशिक्षण देने को कहा है। राज्य सरकार ने इन नियमों की व्याख्या कैसे की है, कोर्ट में इस पर काफी कुछ निर्भर करता है। परिषद हाईकोर्ट के फैसले का अध्ययन कर रही है। यह मामला जब भी सुप्रीम कोर्ट में आएगा, परिषद अपना उपरोक्त पक्ष वहां रखेगी।
कई राज्यों को मिली है छूट:
2010 में शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने से पूर्व कई लाख अप्रशिक्षित शिक्षक थे जो स्थाई हो चुके थे। कई राज्यों ने न्यूनतम अर्हता वाले प्रावधानों को लागू करने के लिए एनसीटीई से छूट हासिल कर रखी है। केंद्र को यह छूट देने का हक है।
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