Sunday 19 July 2015

UPTET Latesst News:Shikshamitra Reqirement

शिक्षा मित्रों की उम्मीदें अभी बरकरार

इलाहाबाद : प्रदेश में एक लाख सत्तर हजार शिक्षा मित्रों की नियुक्ति पर उच्चतम न्यायालय ने रोक भले ही लगा दी है लेकिन उनकी उम्मीदें अभी बरकरार हैं। 27 जुलाई को होने वाली सुनवाई में वह अपना पक्ष और मजबूती से रखने की तैयारी में जुटे हैं। इसके लिए उप्र प्राथमिक शिक्षा मित्र के पदाधिकारियों ने दिल्ली में डेरा डाल लिया है और बड़े अधिवक्ताओं से संपर्क कर रहे हैं। हालांकि वह ये मानकर भी चल रहे हैं कि राज्य सरकार इस बार और तैयारी से अपना पक्ष रखेगी। उत्तर प्रदेश में लगभग डेढ़ लाख शिक्षा मित्रों को नियुक्तियां दी जा चुकी हैं और लगभग बीस हजार को दिया जाना बाकी है। शिक्षा मित्रों का मानना है कि इससे पहले उनका पक्ष मजबूती से रखने में चूक हुई। उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षा मित्र संघ के महामंत्री पुनीत चौधरी कहते हैं कि अभी तो हाईकोर्ट में ही दो दर्जन से अधिक मुकदमे विचाराधीन हैं। उनका फैसला आना बाकी है। इसके अलावा उत्तराखंड में राज्य सरकार शिक्षा मित्रों को सहायक अध्यापक पद पर समायोजित कर चुकी है। संभवत: पिछली बार कोर्ट को यह स्पष्ट नहीं किया जा सका कि राज्य सरकार ने जिन शिक्षा मित्रों को समायोजित किया है, वे ग्रेजुएट हैं और प्रशिक्षण प्राप्त हैं। संघ के पदाधिकारियों के अनुसार यह मसला राज्य सरकार के अधिकारों की भी व्याख्या करेगा। मानव संसाधन विकास मंत्रलय खुद यह स्वीकार कर चुका है कि शिक्षा मित्रों के संबंध में कई फैसले राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में हैं। पंजाब के पटियाला जिले निवासी कुलदीप सिंह द्वारा सूचना अधिकार अधिनियम के तहत मांगे गए जवाब में मंत्रलय के अपर सचिव ने स्पष्ट कहा है कि शिक्ष मित्र के वेतन, उनके पे स्केल व भविष्य में उन्हें टीईटी से छूट दिया जाना राज्य के कार्यक्षेत्र में आता है। मानव संसाधन विकास मंत्रलय के स्कूल शिक्षा व साक्षरता विभाग के अवर सचिव मंजीत कुमार ने स्पष्ट किया है कि शिक्षा मित्रों का मानदेय बढ़ाने से संबंधित निर्णय लेने का मामला उत्तर प्रदेश शासन के अधीन आता है।

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