नियुक्तियां अधूरी, आदेश का इंतजार
इलाहाबाद : सूबे के सहायता प्राप्त जूनियर हाईस्कूलों में शिक्षकों की भर्ती पूरी होने का नाम नहीं ले रही है। यहां प्रधानाध्यापक और सहायक शिक्षक के पद खूब हैं और उन्हें भरे जाने के लिए शासन एवं वरिष्ठ अफसरों का आदेश भी हुए, लेकिन बेसिक शिक्षा अधिकारियों की मनमानी और प्रबंध समितियों के आपसी झगड़े ने नियुक्तियों का बंटाधार कर दिया।
कुछ जिलों में ही गिनी-चुनी भर्ती हुई और उनमें नियम-कानून की धज्जियां उड़ गईं। अब फिर भर्तियां करने के लिए आदेश का इंतजार हो रहा है।प्रदेश के 2888 अशासकीय जूनियर हाईस्कूलों में शिक्षकों की कमी को देखते हुए तय न्यूनतम मानक के तहत शैक्षिक पदों को भरने के आदेश 2015 में हुए।
शिक्षा निदेशालय ने तो 800 प्रधानाध्यापक, 1444 शिक्षकों यानी 2244 पदों को भरने के लिए शासन को पत्र भेजा था। इस अधियाचन में कुछ जिलों के शामिल न होने और बाद में अधिक संख्या में खाली पद सामने आने पर शासन ने पदों की संख्या तय करने के बजाए सीधी भर्ती से न्यूनतम मानक पूरा करने का आदेश दिया। शासनादेश जारी होने के बाद शिक्षा निदेशक बेसिक दिनेश बाबू शर्मा ने बेसिक शिक्षा अधिकारियों को पत्र भेज सीधी भर्ती प्रक्रिया हर हाल में 31 मार्च 2016 तक पूरा करने की मियाद तय कर दी, जिसे बाद में बढ़ाकर 31 जुलाई कर दिया गया।स्पष्ट आदेशों के बाद भी कुछ जिलों को छोड़कर भर्ती प्रक्रिया ठीक से संचालित नहीं हुई। बेसिक शिक्षा अधिकारियों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया, वहीं कुछ जिले ऐसे भी रहे जहां स्कूलों के प्रबंधतंत्र व बीएसए की राय एक न होने से भर्तियां नहीं हो पाई। इसीलिए 31 जुलाई 2016 तक सभी मंडलों में महज 147 प्रधानाध्यापक एवं 653 सहायक अध्यापकों की नियुक्ति हो सकी। इसमें भी तमाम गड़बड़ियां हैं और जांच में उनकी पुष्टि तक हो चुकी है। अब भी बड़ी संख्या में पद खाली होने से कई जिलों से विद्यालय प्रबंध समितियों ने भर्ती पूरा कराने के लिए भर्ती शुरू कराने की मांग की है और आदेश का इंतजार हो रहा है। इसमें यह भी कहा गया है कि लिपिकों की नियुक्ति पर लगी रोक हटाई जाए। अपर शिक्षा निदेशक बेसिक विनय कुमार पांडेय ने बताया कि अभी इस संबंध में कोई आदेश नहीं हुआ है।
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.