अब टीईटी के वर्ष को लेकर हुआ विवाद
इलाहाबाद : परिषदीय स्कूलों में 15 हजार शिक्षकों की भर्ती में नया पेंच फंस गया है। अभ्यर्थियों का दावा है कि 2012 बैच के बीटीसी प्रशिक्षुओं की शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) नियमों के मुताबिक नहीं है। ऐसे में उन्हें शिक्षक चयन प्रक्रिया से बाहर कर दिया जाना चाहिए। उधर, 2012 बैच के प्रशिक्षुओं का दावा है कि गलत शासनादेश दिखाकर अफसरों को गुमराह किया जा रहा है। इस मामले में अफसरों ने चुप्पी साध रखी है। बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में इन दिनों 15 हजार सहायक अध्यापकों की भर्ती प्रक्रिया चल रही है। भर्ती के लिए शासनादेश जारी होने के दस माह बाद शुरू हुई प्रक्रिया पर लगातार कोई न कोई विवाद बना हुआ है। पहले 2012 बैच के आवेदन को लेकर हायतौबा मची थी और प्रकरण उच्च न्यायालय तक पहुंचा। कोर्ट के आदेश पर बेसिक शिक्षा परिषद ने सभी अभ्यर्थियों की काउंसिलिंग करा दी है, पर नियुक्ति अभी अटकी है। इसी बीच तमाम दावेदारों ने 2012 बैच के टीईटी के वर्ष को लेकर दावा किया है कि 2012 बैच के युवाओं ने जब टीईटी पास किया, तब वह आवेदन करने के अर्ह ही नहीं थे। बीटीसी संघर्ष समिति के प्रदेश अध्यक्ष अजीत मिश्र ने कहा कि टीईटी के संबंध में एनसीटीई एवं यूपी टीईटी का स्पष्ट निर्देश है
कि इस परीक्षा में वही अभ्यर्थी बैठ सकते हैं जो बीटीसी उत्तीर्ण हों या फिर अंतिम वर्ष की परीक्षा में शामिल हो रहे हों, जबकि 2012 बैच के अभ्यर्थी टीईटी 2014 की परीक्षा में उस समय बैठे थे, जब वह बीटीसी द्वितीय सेमेस्टर की परीक्षा दे चुके थे। ऐसे में उनका आधार ही दुरुस्त नहीं है। प्रदेश अध्यक्ष अजीत ने यह शिकायत सचिव बेसिक शिक्षा परिषद के यहां ही नहीं बल्कि प्रदेश के तमाम बेसिक शिक्षा अधिकारियों के यहां पत्र भेजकर की है। बकौल अजीत कई बीएसए इसकी जांच भी करा रहे हैं। उधर, आवेदन करने वाले रवींद्र यादव व अन्य युवाओं का कहना है कि एनसीटीई के पुराने आदेश का हवाला देकर अफसरों को गुमराह किया जा रहा है, 72 हजार शिक्षकों की भर्ती के समय 2011 बैच के अभ्यर्थियों का प्रकरण हाईकोर्ट गया था, तब कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि बीटीसी उत्तीर्ण या फिर किसी भी सेमेस्टर में पढ़ने वाले अभ्यर्थी आवेदन कर सकते हैं, लेकिन उस प्रमाणपत्र का उपयोग बीटीसी उत्तीर्ण करने के बाद ही कर सकेंगे। इससे वह पूरी तरह से अर्ह हैं। अभ्यर्थियों का दावा है कि इस संबंध में शासनादेश भी जारी हो चुका है। इस मामले में शिक्षा विभाग के अफसरों ने चुप्पी साध रखी है। नाम न छापने की शर्त पर वह कहते हैं कि यह नियुक्ति प्रकरण कोर्ट में विचाराधीन है इसलिए निर्णय आने के बाद ही कुछ कहेंगे।
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