शिक्षामित्र संघ का आरोप, आंदोलन तेज करने का फैसला
वादाखिलाफी कर रही केंद्र सरकार
लखनऊ। प्राथमिक शिक्षामित्र संघ ने समायोजन को लेकर केंद्र सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए आंदोलन तेज करने का फैसला किया है। उसका कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हुई वार्ता में जो आश्वासन मिला था, केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने उस दिशा में कोई काम नहीं किया है। संघ ने अपने सभी सदस्य शिक्षामित्रों से वाराणसी में प्रधानमंत्री के संसदीय कार्यालय के बाहर चल रहे धरने में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने की अपील भी की है।
प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के महामंत्री पुनीत चौधरी ने कहा कि 18 सितंबर को वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से समायोजन के मुद्दे पर वार्ता हुई थी। प्रधानमंत्री ने कहा था कि शिक्षामित्रों का दर्द उनका दर्द है। उन्हें राहत दिलवाने के लिए हरसंभव प्रयास किए जाएंगे। राज्य सरकार ने शिक्षामित्रों के समायोजन के लिए नियमों में जो ढील दी थी, उसे हाईकोर्ट ने अवैधानिक बताते हुए समायोजन निरस्त कर दिया। हाईकोर्ट का कहना है कि नियमों में ढील केंद्र सरकार ही दे सकती है। इस मामले में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय को आदेश जारी करना है, ताकि शिक्षामित्रों को इंसाफ मिल सके। लेकिन, करीब दो महीने बाद भी केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इस दिशा में कोई काम नहीं किया है।
प्रदेश उप महामंत्री रमेश मिश्रा ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से मुख्य सचिव ने केंद्र सरकार को नियमों में दी गई ढील को वैध ठहराने के लिए काफी पहले पत्र लिख दिया। देरी केंद्र सरकार की ओर से हो रही है। इसलिए शिक्षामित्र संघ को वाराणसी में प्रधानमंत्री के संसदीय कार्यालय के बाहर धरना देना पड़ा। उन्होंने कहा कि 17 नवंबर को आजमगढ़ और लखनऊ मंडल के शिक्षामित्रों ने धरना दिया। 19 नवंबर को मिर्जापुर व देवीपाटन मंडल, 20 नवंबर को गोरखपुर व मुरादाबाद, 21 को बस्ती, आगरा व कानपुर, 22 नवंबर को अलीगढ़, चित्रकूट व सहारनपुर और 23 नवंबर को झांसी, मेरठ व वाराणसी मंडल के शिक्षामित्र धरना देंगे। फिर भी सुनवाई नहीं हुई तो पूरे प्रदेश में आंदोलन किया जाएगा।
19 तक सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी
शिक्षामित्रों के मामले में हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार की ओर से विशेष अनुज्ञा याचिका (एसएलपी) 19 नवंबर तक दायर होने की उम्मीद है। उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि एसएलपी का मसौदा तैयार हो चुका है। इसे राज्य के न्याय विभाग को परीक्षण के लिए भेजा गया है।
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