Monday, 14 September 2015

Teacher Jobs:गलती सरकार की और भुगतना शिक्षामित्रों को पड़ा

गलती सरकार की और भुगतना शिक्षामित्रों को पड़ा

लखनऊ :गलती सरकार की और भुगतना शिक्षामित्रों को पड़ा। राज्य सरकार ने गलत नीतियों को अपनाते हुए शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक बना दिया और आज की तारीख में शिक्षामित्र खाली हाथ हैं। सरकार की ढीली नीतियां और गलत फैसलों के कारण ही आज प्रशिक्षु शिक्षक और शिक्षामित्र एक-दूसरे के सामने लामबंद हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने जब प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती की सुनवाई करते हुए बिना टीईटी किए शिक्षामित्रों की भर्ती पर रोक लगाई तो यह अचानक नहीं था। टीईटी अभ्यर्थियों ने शिक्षामित्रों के खिलाफ लामबंद होकर याचिका दायर की। प्रशिक्षु शिक्षकों की नजर शिक्षामित्रों को समायोजित करने वाले पदों पर थीं। प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती में लगभग ढाई लाख अभ्यर्थियों ने इसमें आवेदन किया था। वहीं इसके बाद शिक्षामित्रों ने भी अध्यापक पात्रता परीक्षा 2011 को रद्द करने की मांग की। इसी के आधार पर 72,825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद की जा रही है। टीईटी 2011 का रिजल्ट विवादों के घेरे में है। इसके रिजल्ट में घोटाले के आरोप के चलते ही तत्कालीन माध्यमिक शिक्षा विभाग के निदेशक संजय मोहन को जेल भेजा गया था। लेकिन सरकार ने टीईटी 2011 को रद्द नहीं किया। कहां हुई गलती:दरअसल राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने शिक्षा का अधिकार कानून के तहत पैराटीचर को प्रशिक्षित करने की अनिवार्यता का नियम बनाया है। लेकिन स्थायी या अस्थायी नियुक्ति पर एनसीटीई ने कुछ नहीं कहा है। सपा सरकार ने रेवड़ी बांटने के अंदाज में नियमों को दरकिनार कर शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक बनाया। यहीं नहीं, सरकार ने यह तथ्य भी प्रचारित किया कि एनसीटीई ने शिक्षामित्रों को बिना टीईटी सहायक अध्यापक बनाने की अनुमति दी है। जबकि ऐसा नहीं था। 


No comments:

Post a Comment

Note: only a member of this blog may post a comment.

Latest Cut Off / Vigyapti