शिक्षामित्रों के सुप्रीम कोर्ट जाने की राह खुली
लखनऊ:राज्य सरकार के लिए ये राहत की खबर है कि हाईकोर्ट ने शिक्षामित्रों के दो वर्षीय प्रशिक्षण को रद्द नहीं किया है। प्रशिक्षण के रद्द होने की स्थिति में सरकार संकट में आ जाती । विभागीय जानकारों की मानें तो अब सरकार राहत पाने के लिए इसी बिन्दु पर सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकती है। हालांकि हाईकोर्ट ने राज्य अध्यापक सेवा नियमावली और आरटीई एक्ट नियमावली के उन संशोधनों को रद्द कर दिया है जिनके तहत शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक के पद पर समायोजित किया गया था। लिहाजा अब सरकार ऐसे विकल्पों को तलाशेगी जिसके तहत शिक्षामित्रों को दोबारा नियुक्ति दी जा सके। जानकार कहते हैं कि सरकार शिक्षामित्रों के
लिए अलग से अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी) का आयोजन कर इनकी नियुक्ति को पूरी तरह विधिक बना सकती है ताकि इसे अदालत में फिर चुनौती न दी जा सके।शिक्षामित्रों को प्रशिक्षण राज्य सरकार ने आरटीई के तहत दिया है। आरटीईटी के तहत एनसीटीई ने नियम बनाया है कि कक्षा एक से 8 तक के स्कूलों में प्रशिक्षित अध्यापक ही पढ़ा सकेंगे। यदि पहले से अप्रशिक्षित शिक्षक तैनात हैं तो उन्हें प्रशिक्षित किया जाए। ऐसे शिक्षकों को प्रशिक्षित करने की योजना सरकार बनाएगी। यूपी सरकार ने इसी नियम के तहत शिक्षामित्रों को प्रशिक्षित किया है। हालांकि एनसीटीई का यह कहना है कि शिक्षक शब्द की अपनी परिभाषा है जबकि शिक्षामित्र केवल 11 महीने के लिए रखे जाते हैं। एनसीटीई ने अपने शपथपत्र में कहा है कि यूपी ने इस तथ्य को छुपाते हुए शिक्षामित्रों को शिक्षक के तौर पर प्रस्तुत करते हुए प्रशिक्षण की अनुमति ली है।
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