हाईकोर्ट के फैसले के बाद शिक्षामित्र अधर में
मूल तैनाती वाले स्कूल से हो गए थे रिलीव, अब नए स्कूल में समायोजन रद्द
लखनऊ। हाईकोर्ट द्वारा समायोजन रद्द होने के बाद शिक्षामित्रों के अस्तित्व पर तकनीकी पेंच फंस गया है। समायोजित होने के बाद बहुत कम शिक्षामित्रों को ही उनके मूल तैनाती वाले विद्यालय में नियुक्ति मिली है। दूसरे विद्यालय में नियुक्त होने से पहले शिक्षामित्रों को मूल तैनाती वाले विद्यालय से रिलीव कर दिया गया था। अब हाईकोर्ट द्वारा शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द होेने के बाद शिक्षामित्र सहायक अध्यापक नहीं रहे। मूल विद्यालय से रिलीव होने के कारण इस समय उनके शिक्षामित्र होने पर भी तकनीकी पेंच फंस गया है।
सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी को देखते हुए सरकार ने वर्ष 2000 में शिक्षामित्रों को मानदेय पर रखने की शुरुआत की थी। कई चरणों की भर्ती के बाद इनकी संख्या एक लाख 72 हजार तक पहुंच गई। समाजवादी पार्टी ने 2012 के विधानसभा चुनाव के दौरान अपने घोषणापत्र में शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक पद समायोजित करने का वादा किया था। सरकार बनने के बाद शिक्षामित्रों को दूरस्थ शिक्षा पद्धति से बीटीसी की ट्रेनिंग करवाकर सहायक शिक्षक पद पर समायोजित करने की शुरुआत कर दी गई। अब तक एक लाख 35 हजार 826 शिक्षामित्र समायोजित किए जा चुके हैं। शिक्षामित्रों को उनके ग्राम पंचायत के गांवों में ही नियुक्त किया गया था। समायोजन के बाद कुछ को छोड़कर ज्यादातर को दूसरे विद्यालयों में भेज दिया गया। समायोजन के समय ऐसे शिक्षामित्रों को रिलीविंग लेटर दे दिया गया। समायोजन रद्द होने पर जिस विद्यालय वे पहुंचे हैं, वहां उनकी नियुक्ति रद्द हो चुकी है जबकि मूल विद्यालय से उन्हें रिलीव किया जा चुका है। ऐसे में वे शिक्षक के पद पर नहीं हैं और तकनीकी रूप से शिक्षामित्र पद से भी रिलीव किए जा चुके हैं।
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