शिक्षकों को मिलेगा ज्यादा वेतन
लखनऊ :प्रदेश के राज्य विश्वविद्यालयों में स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रमों के शिक्षकों व कर्मचारियों को अब ज्यादा वेतन मिलेगा। शासन ने इन पाठ्यक्रमों से होने वाली आय का 75 से 80 फीसदी हिस्सा संविदा पर रखे गए शिक्षकों व शिक्षणोत्तर कर्मचारियों के मानदेय पर खर्च करने की अनुमति दे दी है। संविदा अवधि पांच वर्ष की होगी। इसके बाद नवीनीकरण करना होगा।उच्च शिक्षा विभाग ने बुधवार को इस संबंध में शासनादेश जारी कर दिया। स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रम संचालित करने में आ रही दिक्कतों के मद्देनजर राज्य विश्वविद्यालय लंबे समय से इसकी मांग कर रहे थे। इससे राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) से विश्वविद्यालयों की ग्रेडिंग कराने में आ रही दिक्कतों का भी काफी हद तक समाधान हो जाएगा। हाईकोर्ट भी पहुंचा था मामला : इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने भी डॉ. सुरेश कुमार पांडेय बनाम उत्तर प्रदेश सरकार के मुकदमे में मार्च 2013 में इस संबंध में एक आदेश पारित किया था। शासनादेश में हाईकोर्ट के उस आदेश के क्रियात्मक अंशों को भी शामिल किया गया है। शासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रमों के लिए किसी भी शिक्षक या शिक्षणोत्तर कर्मचारी के पदों का सृजन नहीं किया जाएगा और न ही इसके लिए कोई अनुदान दिया जाएगा।रखना होगा अलग खाता : शासन ने कहा है कि विश्वविद्यालयों को स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रमों से संबधित अलग खाता रखना होगा और इस खाते का अनिवार्य रूप से वार्षिक आडिट कराकर प्रत्येक वर्ष 30 जून तक शासन को रिपोर्ट उपलब्ध करानी होगी। शासन ने इन संविदा शिक्षकों से उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन का कार्य लेने की छूट भी दे दी है। योजना के तहत नियुक्त शिक्षकों व कर्मचारियों का नवीनीकरण पांच वर्ष के बाद होगा। वैसे कार्य व आचरण संतोषजनक न होने पर उनकी सेवाएं कभी भी समाप्त की जा सकेंगी।
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