बगैर टीईटी सहायक शिक्षक भर्ती पर रोक
उत्तर प्रदेश में सहायक शिक्षक बनने का ख्वाब देख रहे शिक्षामित्रों को सुप्रीमकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सुप्रीमकोर्ट ने टीईटी के बगैर शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक नियुक्त करने पर रोक लगा दी है। इतना ही नहीं कोर्ट ने अब तक हुई ऐसी भर्तियों के लिए बेसिक शिक्षा सचिव को सुप्रीमकोर्ट में तलब भी किया है। बेसिक शिक्षा सचिव को अगली सुनवाई 27 जुलाई पर निजी तौर पर कोर्ट में पेश होना है।ये निर्देश न्यायमूर्ति दीपक मिश्र की अध्यक्षता वाली पीठ ने हिमांशु राणा की ओर से दाखिल अर्जी पर सुनवाई के बाद दिए हैं। इससे पहले याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील आनंद नंदन ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश सरकार टीईटी के बगैर ही शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक नियुक्त कर रही है जो कि ठीक नहीं है। उनका कहना था कि सहायक शिक्षक के लिए टीईटी करना जरूरी है, लेकिन राज्य सरकार सैकड़ों ऐसे शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक नियुक्त कर चुकी है जिन्होंने टीईटी नहीं पास किया है। कोर्ट ने उनकी दलीलों पर कहा कि यह गंभीर मामला है और वे इस पर सुनवाई करेंगे। कोर्ट ने राज्य के बेसिक शिक्षा सचिव को अगली सुनवाई 27 जुलाई को पेश होकर अब तक हुई ऐसी भर्तिर्यो पर स्पष्टीकरण देने को कहा है। इसके साथ ही कोर्ट ने बगैर टीईटी के शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक नियुक्त करने पर रोक लगा दी। 1याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि उत्तर प्रदेश में 172000 शिक्षामित्र हैं जिन्हें उत्तर प्रदेश सरकार सहायक शिक्षक के तौर पर नियमित नियुक्ति दे रही है। इनमें से करीब डेढ़ लाख शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक नियुक्त किया जा चुका है और अब मात्र 20000 के करीब शिक्षामित्र ही नियुक्ति के लिए बचते हैं। याचिकाकर्ताओं ने शिक्षामित्रों की नियुक्ति पर आपत्ति उठाने वाली यह अर्जी सहायक शिक्षक भर्ती के संबंध में पहले से लंबित मुख्य याचिका में दाखिल की है। मुख्य मामले में भी आज सहायक शिक्षकों की भर्ती से संबंधित नियम कानूनों पर बहस हुई। 27 अप्रैल को फिर इस पर बहस होगी। इस बीच कोर्ट ने पक्षकारों से कहा है कि वे बताएं कि अन्य राज्यों में क्या नियम हैं।
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