शिक्षा मित्रों को नहीं बनाएं शिक्षक : SC
नई दिल्ली : प्रदेश में शिक्षा मित्रों को सहायक शिक्षक के तौर पर समायोजित करने की प्रक्रिया पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। कोर्ट ने सोमवार को कहा कि जिन शिक्षा मित्रों ने टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट (टीईटी) पास नहीं किया है, उन्हें सहायक शिक्षक के पद पर समायोजित न किया जाए। कोर्ट ने प्रदेश के बेसिक शिक्षा सचिव और विशेष सचिव को 27 जुलाई को इस मामले में जवाब दाखिल करने को कहा है।
सुनवाई के दौरान एक आवेदन दाखिल कर एडवोकेट आनंद नंदन ने कहा कि यूपी में 1.72 लाख शिक्षा मित्र हैं और उन्हें बिना टीईटी क्वालिफाई किए हुए ही असिस्टेंट टीचर के पद पर नियुक्त किया जा रहा है, यह नियमों के खिलाफ है। अभी तक ऐसे 1.5 लाख शिक्षकों की भर्ती की जा चुकी है। करीब 20 हजार भर्तियां और होनी हैं। इस पर रोक लगाई जानी चाहिए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि यूपी सरकार ऐसे किसी भी शिक्षा मित्र को सहायक शिक्षक के तौर पर समायोजित न करे, जिसने टीईटी पास नहीं किया है। अदालत ने कहा कि यह मसला बेहद गंभीर है।
प्राइमरी टीचर : दूसरे राज्यों के नियम दिखाएं
72 हजार प्राइमरी टीचरों की भर्ती मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से कहा है कि वह अन्य राज्यों के रूल्स भी उनके सामने पेश करें। अदालत ने यूपी सरकार को निर्देश दिया था कि वह खाली सीटों के लिए 4 हफ्ते में नोटिस जारी करे और अगले तीन हफ्ते में अभ्यर्थी को जॉइन करना होगा। अदालत ने साफ किया था कि ये आदेश अंतरिम है और आखिरी फैसला मायने रखेगा।
सुनवाई के दौरान एक आवेदन दाखिल कर एडवोकेट आनंद नंदन ने कहा कि यूपी में 1.72 लाख शिक्षा मित्र हैं और उन्हें बिना टीईटी क्वालिफाई किए हुए ही असिस्टेंट टीचर के पद पर नियुक्त किया जा रहा है, यह नियमों के खिलाफ है। अभी तक ऐसे 1.5 लाख शिक्षकों की भर्ती की जा चुकी है। करीब 20 हजार भर्तियां और होनी हैं। इस पर रोक लगाई जानी चाहिए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि यूपी सरकार ऐसे किसी भी शिक्षा मित्र को सहायक शिक्षक के तौर पर समायोजित न करे, जिसने टीईटी पास नहीं किया है। अदालत ने कहा कि यह मसला बेहद गंभीर है।
प्राइमरी टीचर : दूसरे राज्यों के नियम दिखाएं
72 हजार प्राइमरी टीचरों की भर्ती मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से कहा है कि वह अन्य राज्यों के रूल्स भी उनके सामने पेश करें। अदालत ने यूपी सरकार को निर्देश दिया था कि वह खाली सीटों के लिए 4 हफ्ते में नोटिस जारी करे और अगले तीन हफ्ते में अभ्यर्थी को जॉइन करना होगा। अदालत ने साफ किया था कि ये आदेश अंतरिम है और आखिरी फैसला मायने रखेगा।
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