अभ्यर्थियों की आपत्तियां विशेषज्ञ समिति के हवाले
इलाहाबाद : टीजीटी-पीजीटी परीक्षा में पूछे गए सवालों को लेकर हो रही आलोचनाओं की परवाह न करते हुए माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड ने परिणाम घोषित करने की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं। बोर्ड की पहली चुनौती अभ्यर्थियों की आपत्तियां हैं। इसके लिए विशेषज्ञ समितियों का गठन शुरू कर दिया गया है। उनकी रिपोर्ट आने के बाद ही यह तय हो सकेगा कि अभ्यर्थियों को अंक कितने सवालों के जवाब के आधार पर दिए जाएंगे। प्रदेश में कई साल बाद प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक (टीजीटी) और प्रवक्ता (पीजीटी) परीक्षा हुई है। नौ हजार से अधिक पदों के लिए हुई इस परीक्षा में लगभग आठ लाख अभ्यर्थी शामिल हुए हैं। हालांकि पहले तीन चरण में हुई टीजीटी परीक्षा ही सवालों को लेकर विवादों में घिर गई। अभ्यर्थियों ने तमाम विषयों में पाठ्यक्रम से बाहर के प्रश्न पूछे जाने का आरोप लगाया। गलत सवालों को लेकर तो आपत्तियों की भरमार है। ऐसा कोई विषय नहीं है जिसके सवालों और उनके विकल्पों पर अभ्यर्थियों ने आपत्तियां न दर्ज कराई हों। बाद में दो चरणों में हुई प्रवक्ता परीक्षा तो और भी ज्यादा विवाद में आ गई। चयन बोर्ड को बैकफुट पर आना पड़ा इतिहास विषय की परीक्षा रद भी करनी पड़ी। सूत्रों के अनुसार इन विवादों की वजह से ही विशेषज्ञ समितियों के गठन में विलंब हुआ। बोर्ड के अधिकारियों के अनुसार विशेषज्ञ समितियों का गठन करना अध्यक्ष का अधिकार है। यह समितियां ही अभ्यर्थियों की आपत्तियों का निपटारा करेंगी। हर विषय के लिए अलग समिति है जो सवालों और उनके विकल्पों का परीक्षण करेगी। पाठ्यक्रम से बाहर के सवालों पर भी विशेषज्ञ ही निर्णय करेंगे। इसके बाद ही संशोधित उत्तर की जारी की जाएगी। फिर बोर्ड की बैठक में यह तय होगा कि अंक निर्धारण की प्रक्रिया क्या हो। बोर्ड के एक अधिकारी बताते हैं कि होली के बाद इस काम में और तेजी आ जाएगी। पीजीटी के इतिहास विषय की परीक्षा की तारीख भी जल्द ही घोषित की जाएगी। उल्लेखनीय है कि इससे पहले बोर्ड को अपनी परीक्षाओं के कई सवाल रद करने पड़े हैं।
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