72,825 शिक्षक भर्ती कि खत्म हुई सबसे बड़ी दिक्कत
प्राइमरी स्कूलों में 72,825 प्रशिक्षु शिक्षक तथा उच्च प्राइमरी स्कूलों में 29,334 सहायक अध्यापकों की भर्ती के लिए काउंसलिंग के दौरान अभ्यर्थियों को अब मूल प्रमाण पत्र जमा नहीं करने होंगे।
अभ्यर्थियों को काउंसलिंग के दौरान इसे दिखाना तो जरूर होगा, लेकिन राजपत्रित अधिकारी से सत्यापित फोटोकॉपी ही जमा की जाएगी। सचिव बेसिक शिक्षा एचएल गुप्ता ने गुरुवार को इस आशय का शासनादेश जारी कर दिया है। बेसिक शिक्षा विभाग ने यह शासनादेश हाईकोर्ट के आदेश पर जारी किया है।
बेसिक शिक्षा विभाग ने प्राइमरी और उच्च प्राइमरी स्कूलों में भर्ती के लिए बीएड पास अभ्यर्थियों से आवेदन मांगे थे।कई अभ्यर्थियों ने प्राइमरी तथा उच्च प्राइमरी दोनों के लिए आवेदन कर रखा है या फिर कई-कई जिलों में आवेदन कर रखा है। मूल प्रमाण पत्र जमा करा लिए जाने से ऐसे अभ्यर्थी केवल एक ही जिले में काउंसलिंग करा पा रहे थे।
कुछ अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट से अनुरोध किया था कि काउंसलिंग के दौरान मूल प्रमाण पत्र जमा करने की अनिवार्यता समाप्त की जाए। हाईकोर्ट ने अभ्यर्थियों के पक्ष में फैसला दिया।सचिव बेसिक शिक्षा ने इसके आधार पर शासनादेश जारी करते हुए राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) के निदेशक को निर्देश दिया है कि काउंसलिंग के दौरान मूल प्रमाण पत्र न जमा कराए जाएं।
नियुक्ति पत्र में उल्लेख किया जाए कि कार्यभार ग्रहण करते समय चयनितों को मूल प्रमाण पत्र अनिवार्य रूप से प्रस्तुत करना होगा जिससे छायाप्रति का उससे मिलान किया जा सके।
कहीं लंबी न खिच जाए भर्ती
मूल दस्तावेज वापस किए जाने के बाद से इस काम में जुड़े अफसर आशंकित हैं कि कहीं भर्ती प्रक्रिया लंबी न खिंच जाए। उन्हें इससे बाद की काउंसलिंग में अव्यवस्था की भी आशंका है। दरअसल, इस भर्ती में अभ्यर्थियों को कई जिलों से आवेदन की छूट थी। उसके बाद मेरिट के बाद जिले आवंटित किए जा रहे हैं। कुछ अभ्यर्थी ऐसे हैं जिनका नाम कई जिलों में हैं। यही वजह है कि एक कैटिगरी के अभ्यर्थियों को प्रदेश भर में एक ही तारीख में बुलाया जाता है ताकि वे कई जिलों में काउंसलिंग न करा सकें। यदि दस्तावेज वापस कर दिए जाएंगे तो वे अगली काउंसलिंग में दूसरे जिले में भी शामिल होने की कोशिश करेंगे। हालांकि एक जगह काउंसलिंग होने के बाद अन्य जिलों से अभ्यर्थी का नाम हटा दिया जाता है। फिर भी आशंका यह है कि मदर लिस्ट में नाम होने के कारण वे काउंसलिंग की मांग कर सकते हैं। इससे अव्यवस्था होने की भी आशंका बनी हुई है। कई जिलों में काउंसलिंग कराने से यह तय करना मुश्किल हो जाएगा कि कितने पद खाली रह गए। एक अभ्यर्थी कई पद घेरे रहेगा। इससे प्रक्रिया लंबी खिच सकती है
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