लाहाबाद संजोग मिश्र प्रदेशभर के 1.72 लाख शिक्षामित्रों के बगैर टीईटी पक्की नौकरी की राह आसान नहीं दिख रही है। उत्तराखंड हाईकोर्ट के हालिया फैसले ने उत्तर प्रदेश में टीईटी मुक्त समायोजन पर सवाल खड़े कर दिए हैं। उत्तराखंड के शिक्षामित्रों की सेवा शर्तें उत्तर प्रदेश के समान है क्योंकि 1999 में जब इनकी नियुक्ति प्रक्रिया शुरू हुई, उस वक्त उत्तराखंड बना नहीं था।
उत्तराखंड सरकार ने इसी साल चार मार्च को बगैर टीईटी समायोजन का आदेश जारी किया तो यह मामला उत्तराखंड हाईकोर्ट पहुंच गया। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने गत 15 जुलाई को पारित फैसले में कहा कि टीईटी से छूट केंद्र सरकार ही अधिसूचना के जरिए दे सकती है। शिक्षामित्रों को टीईटी से छूट देने के उत्तराखंड सरकार के निर्णय को खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि शिक्षामित्रों को शिक्षक नहीं माना जा सकता। उन्हें कभी वेतन का भुगतान नहीं किया गया।
शिक्षामित्रों को उनकी सेवाओं के लिए जो मिलता रहा, वो मानदेय है। गौरतलब है कि टीईटी से छूट दिए जाने का विवाद इलाहाबाद हाईकोर्ट में विचाराधीन है जबकि 53 हजार से अधिक शिक्षामित्रों को नियुक्ति पत्र भी बांटे जा चुके हैं। कैट के फैसले ने बढ़ाई उम्मीदें टीईटी मुक्त समायोजन पर अड़े यूपी के शिक्षामित्रों की उम्मीदों को पिछले दिनों सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्युनल (कैट) के फैसले ने बढ़ा दिया है। गत नौ जुलाई के फैसले में कैट ने संविदा के आधार पर रिसोर्स टीचर्स की नियुक्ति के लिए टीईटी की अनिवार्यता में रियायत दी थी।
नजीर नहीं बन सकता यह फैसला उत्तराखंड हाईकोर्ट का फैसला उत्तर प्रदेश के शिक्षामित्रों के टीईटी मुक्त समायोजन के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में लंबित याचिकाओं के लिए नजीर नहीं बन सकता, बहस के दौरान संदर्भ बिन्दु हो सकता है। एनसीटीई कर चुका है इनकार शिक्षक भर्ती के मानक तय करने वाली राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) यूपी के शिक्षामित्रों को टीईटी से छूट दिए जाने से पहले ही इनकार कर चुकी है। आरटीआई के जवाब में एनसीटीई ने ऐसी कोई छूट नहीं दिए जाने की बात कही है
उत्तराखंड सरकार ने इसी साल चार मार्च को बगैर टीईटी समायोजन का आदेश जारी किया तो यह मामला उत्तराखंड हाईकोर्ट पहुंच गया। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने गत 15 जुलाई को पारित फैसले में कहा कि टीईटी से छूट केंद्र सरकार ही अधिसूचना के जरिए दे सकती है। शिक्षामित्रों को टीईटी से छूट देने के उत्तराखंड सरकार के निर्णय को खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि शिक्षामित्रों को शिक्षक नहीं माना जा सकता। उन्हें कभी वेतन का भुगतान नहीं किया गया।
शिक्षामित्रों को उनकी सेवाओं के लिए जो मिलता रहा, वो मानदेय है। गौरतलब है कि टीईटी से छूट दिए जाने का विवाद इलाहाबाद हाईकोर्ट में विचाराधीन है जबकि 53 हजार से अधिक शिक्षामित्रों को नियुक्ति पत्र भी बांटे जा चुके हैं। कैट के फैसले ने बढ़ाई उम्मीदें टीईटी मुक्त समायोजन पर अड़े यूपी के शिक्षामित्रों की उम्मीदों को पिछले दिनों सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्युनल (कैट) के फैसले ने बढ़ा दिया है। गत नौ जुलाई के फैसले में कैट ने संविदा के आधार पर रिसोर्स टीचर्स की नियुक्ति के लिए टीईटी की अनिवार्यता में रियायत दी थी।
नजीर नहीं बन सकता यह फैसला उत्तराखंड हाईकोर्ट का फैसला उत्तर प्रदेश के शिक्षामित्रों के टीईटी मुक्त समायोजन के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में लंबित याचिकाओं के लिए नजीर नहीं बन सकता, बहस के दौरान संदर्भ बिन्दु हो सकता है। एनसीटीई कर चुका है इनकार शिक्षक भर्ती के मानक तय करने वाली राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) यूपी के शिक्षामित्रों को टीईटी से छूट दिए जाने से पहले ही इनकार कर चुकी है। आरटीआई के जवाब में एनसीटीई ने ऐसी कोई छूट नहीं दिए जाने की बात कही है
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