तीन सदस्यीय बेंच के समक्ष मामले की सुनवायी 10.30 बजे शुरू हुई ।
जिसमे सबसे पहले शिक्षामित्रों के वकील राम जेठमलानी ने कोई अन्य तिथि सुनवायी के लिए निर्धारित करने की मांग कोर्ट से की ।
जिसपर न्यायमूर्ति श्री दीपक मिश्रा जी ने सभी पक्षकारों को बताया कि मेरे साथी न्यायमूर्ति श्री अजय खानविलकर साहब ने इस प्रकरण की सुनवाई से स्वयं को अलग कर लिया है जिसके कारण मैं इस प्रकरण की सुनवायी चाहते हुए भी नहीं कर सकता हूँ ।
जिसपर टीईटी के वकीलों ने सुनवायी करने की जोरदार मांग की तथा साथ ही साथ न्यायालय द्वारा पूर्व में याचियों के सम्बन्ध में दिए गये सभी आदेशों के अनुपालन के लिए सरकार को स्पष्ट रूप से निर्देशित करने की मांग की जिसपर न्यायमूर्ति महोदय ने जस्टिस श्री खानविलकर के द्वारा सुनवायी से पूर्णरूप से इंकार करने के कारण कोई आदेश न पारित कर पाने की मजबूरी बतायी क्योंकि यदि न्यायमूर्ति श्री दीपक मिश्रा कोई आदेश भी पारित करते तो जस्टिस खानविलकर के हस्ताक्षर न करने के कारण वह आदेश अवैध हो जाता और एक नया संवैधानिक संकट उत्पन्न हो जाता ।
इसलिए न्यायमूर्ति श्री दीपक मिश्रा ने कोर्ट के रजिस्ट्रार को CJ के निर्देश पर नयी बेंच और नयी तिथि निर्धारित करने का निर्देश दिया ।
शिक्षामित्रों को समय मिल जाने के बाद सरकारी वकील दिनेश द्विवेदी ने न्यायमूर्ति श्री दीपक मिश्रा से टीईटी मामले की पूरे दिन सुनवायी किये जाने के पिछले आदेश के कारण सुनवायी करवाने की मांग की जिसपर न्यायमूर्ति श्री दीपक मिश्रा जी ने कहा कि व्यक्तिगत रूप से आज ही सम्पूर्ण प्रकरण की सुनवायी करने के लिए तैयार होने की बात कही और कहा कि मैं अपने साथी जज के प्रकरण से स्वयं को अलग करने के कारण मजबूर हूँ ।
इस तरीके से न्यायमूर्ति के स्वयं को सुनवाई से स्वयं को अलग करने के कारण टेट अभ्यर्थियों को सुनवाई करवाने में असफलता हाथ लगी ।
भाग्यवश शिक्षामित्रों को कुछ दिन और ख़ुशी मनाने का मौका मिल गया ।
अब नयी सरकार ही सभी पक्षों का भाग्य निर्धारित करेगी कि उसे आगे सभी पक्षो से मुकदमा लड़ना है कि न्यायसंगत कार्यवाई करते हुए सभी योग्य टीईटी अभ्यर्थियों को नियुक्ति प्रदान करना है ।
source:facebook
जिसमे सबसे पहले शिक्षामित्रों के वकील राम जेठमलानी ने कोई अन्य तिथि सुनवायी के लिए निर्धारित करने की मांग कोर्ट से की ।
जिसपर न्यायमूर्ति श्री दीपक मिश्रा जी ने सभी पक्षकारों को बताया कि मेरे साथी न्यायमूर्ति श्री अजय खानविलकर साहब ने इस प्रकरण की सुनवाई से स्वयं को अलग कर लिया है जिसके कारण मैं इस प्रकरण की सुनवायी चाहते हुए भी नहीं कर सकता हूँ ।
जिसपर टीईटी के वकीलों ने सुनवायी करने की जोरदार मांग की तथा साथ ही साथ न्यायालय द्वारा पूर्व में याचियों के सम्बन्ध में दिए गये सभी आदेशों के अनुपालन के लिए सरकार को स्पष्ट रूप से निर्देशित करने की मांग की जिसपर न्यायमूर्ति महोदय ने जस्टिस श्री खानविलकर के द्वारा सुनवायी से पूर्णरूप से इंकार करने के कारण कोई आदेश न पारित कर पाने की मजबूरी बतायी क्योंकि यदि न्यायमूर्ति श्री दीपक मिश्रा कोई आदेश भी पारित करते तो जस्टिस खानविलकर के हस्ताक्षर न करने के कारण वह आदेश अवैध हो जाता और एक नया संवैधानिक संकट उत्पन्न हो जाता ।
इसलिए न्यायमूर्ति श्री दीपक मिश्रा ने कोर्ट के रजिस्ट्रार को CJ के निर्देश पर नयी बेंच और नयी तिथि निर्धारित करने का निर्देश दिया ।
शिक्षामित्रों को समय मिल जाने के बाद सरकारी वकील दिनेश द्विवेदी ने न्यायमूर्ति श्री दीपक मिश्रा से टीईटी मामले की पूरे दिन सुनवायी किये जाने के पिछले आदेश के कारण सुनवायी करवाने की मांग की जिसपर न्यायमूर्ति श्री दीपक मिश्रा जी ने कहा कि व्यक्तिगत रूप से आज ही सम्पूर्ण प्रकरण की सुनवायी करने के लिए तैयार होने की बात कही और कहा कि मैं अपने साथी जज के प्रकरण से स्वयं को अलग करने के कारण मजबूर हूँ ।
इस तरीके से न्यायमूर्ति के स्वयं को सुनवाई से स्वयं को अलग करने के कारण टेट अभ्यर्थियों को सुनवाई करवाने में असफलता हाथ लगी ।
भाग्यवश शिक्षामित्रों को कुछ दिन और ख़ुशी मनाने का मौका मिल गया ।
अब नयी सरकार ही सभी पक्षों का भाग्य निर्धारित करेगी कि उसे आगे सभी पक्षो से मुकदमा लड़ना है कि न्यायसंगत कार्यवाई करते हुए सभी योग्य टीईटी अभ्यर्थियों को नियुक्ति प्रदान करना है ।
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