शिक्षकों के वेतन का मिटेगा फासला
इलाहाबाद : प्रदेश के उच्च प्राथमिक विद्यालयों में वरिष्ठ एवं कनिष्ठ शिक्षकों के वेतन का फासला मिटने जा रहा है। वर्षो से सेवारत करीब 15 हजार से अधिक शिक्षकों को हाल ही में नियुक्त हुए शिक्षकों से कम वेतन दिया जा रहा था। अब एक ही संवर्ग के वरिष्ठ एवं कनिष्ठ शिक्षकों को बराबर वेतन दिया जाएगा। दरअसल, पहले से कार्यरत शिक्षक नए शिक्षकों से कम वेतन पाने से अध्यापकों के एक वर्ग में नाराजगी थी।
बेसिक शिक्षा परिषद के उच्च प्राथमिक विद्यालयों में तैनात अधिकांश शिक्षक प्राथमिक स्कूलों से प्रमोशन पाकर वहां पहुंचे हैं। ऐसे में इन शिक्षकों की सेवा अवधि लंबी रही है। इसी बीच शासन ने विज्ञान-गणित के 29334 शिक्षकों की उच्च प्राथमिक विद्यालयों में सीधी भर्ती से तैनाती की है। यह नियुक्ति होते ही वेतन विसंगति का प्रकरण गहरा गया। असल में सीधी भर्ती के तहत तैनाती पाने वाले शिक्षकों को 4600 ग्रेड पे के तहत तैनाती दी गई है, लेकिन उनका वेतन वरिष्ठ शिक्षकों से अधिक है। इसकी वजह यह है कि वरिष्ठ शिक्षकों को भी 4600 ग्रेड पे के तहत प्रमोशन पर एक इंक्रीमेंट का तो लाभ दिया गया, लेकिन जिस ग्रेड पे में वे पहुंचे उसका न्यूनतम वेतन नहीं दिया गया। इससे नए एवं पुराने शिक्षकों के बीच वेतन का फासला बढ़ गया। वरिष्ठ शिक्षकों की कड़ी नाराजगी जताने पर बेसिक शिक्षा परिषद एवं शासन ने इस पर मंथन किया। बुधवार को परिषद के वित्त नियंत्रक अजरुन सिंह ने सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को आदेश दिया है कि वह वेतन विसंगति को शासनादेश के अनुरूप दूर करें। यदि एक ही संवर्ग में सीधी भर्ती की व्यवस्था है और सीधी भर्ती से नियुक्त कर्मचारी का वेतन यदि वरिष्ठ कर्मचारी से अधिक निर्धारित होता है तो ऐसी स्थिति में वरिष्ठ कर्मचारी का वेतन कनिष्ठ के बराबर किया जा सकता है। इसी का अनुपालन अब उच्च प्राथमिक स्कूलों में होगा। इसमें सीधी भर्ती के शिक्षकों के वेतन पर तो असर नहीं पड़ेगा, लेकिन 15 हजार से अधिक वरिष्ठ शिक्षकों को इसका लाभ जरूर मिलेगा।
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