तीन हजार शिक्षकों की मार्कशीट मिली फर्जी
नौकरी छोड़ गए तमाम शिक्षक, कॉलेज संचालक भी फंसे
आगरा : अंबेडकर विवि के सबसे बड़े बीएड फर्जीवाड़े में सुबूत जुटाए जा रहे हैं। एक कर्मचारी को जेल भेजने के बाद दो और कर्मचारियों के खिलाफ सुबूत मिल गए हैं। उधर, विशेष जांच दल (एसआइटी) ने तीन हजार सरकारी शिक्षकों की मार्कशीट के फर्जी होने की आशंका जताई है। इन्हें बनवाने में निजी कॉलेज संचालक भी फंसने जा रहे हैं। विवि के बीएड सत्र 2004-05 में 10 हजार रोल नंबर जेनरेट (बिना प्रवेश मार्कशीट दीं) किए थे। कनिष्ठ लिपिक रणवीर सिंह को बाह के प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक अशोक कुमार उत्प्रेती की बीएड सत्र
2005 की फर्जी मार्कशीट बनाने पर गिरफ्तार कर जेल भेजा है। शिक्षक की मार्कशीट गगन कॉलेज, अलीगढ़ के नाम से बनाई थी, जबकि कॉलेज संचालक ने लिखकर दिया है कि उनके यहां इस नाम का कोई छात्र ही नहीं था। इसी तरह एसआइटी ने बीएसए, कार्यालय आगरा से तीन हजार शिक्षकों की मार्कशीट का ब्योरा मांगा है। इन सभी की विशिष्ट बीटीसी से 2007 के बाद नौकरी लगी थी। शिक्षकों की मार्कशीट का संबंधित कॉलेजों में सत्यापन कराया जाएगा। फर्जीवाड़े में फंसने की आशंका पर तमाम शिक्षकों ने नौकरी छोड़ दी है। फर्जी मार्कशीट मिलने पर मुकदमा दर्ज होगा। एसआइटी ने 36 कर्मचारियों और कॉलेज संचालकों की सूची तैयार की है। इनकी भी जांच की जा रही है। एसआइटी ने की चार कर्मचारियों से पूछताछ : गुरुवार को एसआइटी ने लखनऊ में विवि के कर्मचारियों चार्ट रूम प्रभारी सुनील श्रीवास्तव, राजेश चोपड़ा, प्रमोद, सत्येंद्र पाल सिंह उर्फ लल्लू, साकेत शर्मा से पूछताछ की गई।
कर्मचारियों ने किया काम बंद : विवि के 1998 के बाद से अंक चार्ट पर अधिकारियों के हस्ताक्षर नहीं है। वहीं, सत्र 2011 के बाद के चार्टो पर भी स्कैन हस्ताक्षर हैं। ऐसे में कर्मचारी संघ ने चार्टो पर विवि के अधिकारियों के हस्ताक्षर किए जाने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। उप कुलसचिव केएन सिंह का घेराव करने के बाद कुलपति सचिवालय पर धरने पर बैठ गए। कुलपति प्रोफेसर मोहम्मद मुजम्मिल और कुलसचिव अशोक अरविंद नहीं थे, ऐसे में शाम पांच बजे तक कर्मचारी धरने पर बैठे रहे।
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