शिक्षामित्रों पर नरम पर नहीं दे रहे शिक्षकों का साथ
समायोजित हुए शिक्षा मित्रों को केवल दो प्रमाणपत्रों के समायोजन पर वेतन...लेकिन प्रशिक्षु शिक्षक से शिक्षक बने अभ्यर्थी अब भी वेतन से दूर हैं। उन्हें सत्यापन के नाम पर एक भी वेतन नहीं दिया गया। कई जिलों में प्रशिक्षु शिक्षक भुखमरी की कगार पर पहुंच चुके हैं।प्रशिक्षु शिक्षकों ने 8-9 महीने तक क्रियात्मक व सैद्धांतिक प्रशिक्षण प्राप्त किया। अगस्त में हुई परीक्षा में लगभग 43 हजार प्रशिक्षु पास हुए। माना गया कि जल्द ही उन्हें सहायक अध्यापक के पद पर मौलिक नियुक्ति दी जाएगी लेकिन इसमें भी देर लगी और नवंबर में जाकर उन्हें नियुक्ति
पत्र दिए गए। इस बीच केवल उन्हें छह महीने का मानदेय प्रतिमाह 7 हजार रुपए की दर से दिया गया। केवल 42 हजार रुपए ही उन्हें अब तक मिले हैं। वेतन के इंतजार में कई प्रशिक्षु भुखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं क्योंकि कइयों को अपने जिले से दूर जिलों में नियुक्ति मिली है। ऐसे में वहां जाकर रहना, खाना और स्कूल तक पहुंचना ही एक मुश्किल बन गई है। दूसरे शहर में होने वाला खर्च वे बिना पैसे बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं।शिक्षामित्रों के लिए किया है अलग आदेश
सरकारी प्राइमरी स्कूलों में शिक्षामित्र, प्रशिक्षु शिक्षक और जूनियर शिक्षक तीनों को अगस्त से नवम्बर तक मौलिक नियुक्ति दी गई है। लेकिन शिक्षामित्रों को केवल दो प्रमाणपत्रों के सत्यापन के पर वेतन दिए जाने का आदेश बेसिक शिक्षा परिषद ने जारी किया है। जबकि पहले बैच में परीक्षा किए हुए लगभग 40 हजार प्रशिक्षु शिक्षकों और 29,334 जूनियर शिक्षकों के लिए ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया गया। ऐसे में प्रशिक्षु शिक्षकों और जूनियर शिक्षकों में गुस्सा है और वे शिक्षकों की किसी भी तरह की हाजिरी लिए जाने का विरोध कर रहे हैं।
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