बिना टीईटी नौकरी कर रहे 20 हजार शिक्षक
बेसिक शिक्षा परिषद के प्राइमरी स्कूलों में लगभग 20 हजार शिक्षक टीईटी किए बगैर पढ़ा रहे हैं। शिक्षामित्रों के लिए टीईटी की अनिवार्यता को लेकर पैदा हुए विवाद के बीच इन शिक्षकों का मसला फिर से चर्चा में है, क्योंकि यूपी में 23 अगस्त 2010 के बाद नियुक्त ये शिक्षक न्यूनतम अर्हता पूरी नहीं करते। दरअसल देश में नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई)-09 की अधिसूचना 23 अगस्त 2010 को जारी हुई। लेकिन उत्तर प्रदेश में इसे 27 जुलाई 2011 को लागू किया गया। 23 अगस्त 2010 से 27 जुलाई 2011 के बीच बीटीसी, विशिष्ट बीटीसी, उर्दू बीटीसी वाले लगभग
20 हजार अभ्यर्थियों की बगैर टीईटी नियुक्ति कर दी गई।राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) की गाइडलाइन के अनुसार 23 अगस्त 2010 के बाद जो भी शिक्षक बगैर टीईटी नियुक्त हुए हैं, उनकी नियुक्ति अवैध है। टीईटी पर हाईकोर्ट की वृहदपीठ ने 31 मई 2013 के फैसले में भी 23 अगस्त 2010 के बाद नियुक्त शिक्षकों के लिए टीईटी अनिवार्य बताया था।लेकिन शिक्षक भर्ती के विवादों में फंसी सरकार और अफसरों का ध्यान इन 20 हजार शिक्षकों की ओर नहीं गया। यही कारण है कि प्रदेश में आरटीई लागू होने के सवा दो साल बाद भी 23 अगस्त 2010 से जुलाई 2011 के बीच नियुक्त शिक्षकों को टीईटी नहीं कराई गई। इस मसले पर बेसिक शिक्षा विभाग के अफसर कुछ बोलने को तैयार नहीं है।
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