अनिवार्य नहीं होगी टीईटी
राज्य में 2010 से पहले नियुक्त हुए शिक्षकों को मिली बड़ी राहत
नई दिल्ली : राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षण परिषद (एनसीटीई) ने उत्तर प्रदेश को स्पष्ट किया है कि 25 अगस्त, 2010 से पहले जिन शिक्षकों की नियुक्ति हुई है, उनके लिए टीईटी (शिक्षक योग्यता परीक्षा) परीक्षा देना जरूरी नहीं होगा। हालांकि इसमें यह स्पष्ट नहीं है कि प्रदेश में आंदोलनरत शिक्षा मित्र इसके तहत आएंगे या नहीं, क्योंकि इनकी नियुक्ति अलग श्रेणी में हुई थी। एनसीटीई ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव आलोक रंजन को लिखे पत्र में कहा है कि ऐसे शिक्षकों के लिए शर्त सिर्फ यही होगी कि वे लगातार सेवा में बने हों। पत्र में यह भी लिखा गया है कि मानव संसाधन विकास मंत्रलय ने पांच नवंबर
, 2010 को सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र लिख कर यह स्पष्ट कर दिया था कि टीईटी के नियम में इसके बाद कोई छूट नहीं दी जाएगी। एनसीटीई ने मुख्य सचिव को यह पत्र सोमवार को भेजा है। इस पत्र के बावजूद उहापोह इसलिए है, क्योंकि शिक्षा मित्रों की नियुक्ति तकनीकी रूप से शिक्षकों के रूप में नहीं हुई थी। मगर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रलय और एनसीटीई के अधिकारियों की ओर से कोई स्पष्टीकरण नहीं मिल सका। उधर, शिक्षा मित्रों का मानना है कि इस आदेश के बाद उनके नौकरी में बने रहने का रास्ता साफ हो गया है। एनसीटीई के पत्र से यह भी है कि अप्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति के संबंध में सारी जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी। इसके मुताबिक नियुक्ति सही माध्यम से हुई हो और इसकी प्रकृति सही हो यह राज्य सरकार को तय करना होगा। उत्तर प्रदेश में शिक्षा मित्रों के आंदोलन को देखते हुए राज्य के मुख्य सचिव ने एनसीटीई को पत्र लिख कर अनुरोध किया था कि उन्हें इस संबंध में छूट दी जानी चाहिए।
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.