Wednesday, 28 October 2015

UPTET Teacher Naukri:एनसीटीई ने शिक्षामित्रों के समायोजन की वैधता की जिम्‍मेदारी सरकार पर छोड़ी

टीईटी से अगस्त 2010 तक के शिक्षकों को ही रियायत

एनसीटीई ने शिक्षामित्रों के समायोजन की वैधता की जिम्‍मेदारी सरकार पर छोड़ी


लखनऊ। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने साफ किया है कि यूपी में टीईटी से छूट उन्हीं शिक्षकों को मिलेगी जिनकी नियुक्ति 25 अगस्त 2010 से पहले हुई हो और तब से लगातार सेवा में हों। इसके बाद नियुक्त होने वालों के लिए टीईटी पास करना अनिवार्य होगा। एनसीटीई ने शिक्षामित्रों की बतौर शिक्षक तैनाती या समायोजन की वैधता का निर्धारण राज्‍य सरकार पर ही छोड़ दिया है। इस संबंध में एनसीटीई के सदस्य सचिव जुगलाल सिंह ने मुख्य सचिव आलोक रंजन को जवाब
भेज दिया। मुख्य सचिव ने शिक्षामित्रों को टीईटी से छूट देने के संबंध में एनसीटीई को पत्र लिखा था। शासन अब जवाब का कानूनी परीक्षण करा रहा है। कानूनी राय मिलने के बाद ही आगे कार्यवाही की जाएगी। हालांकि शिक्षामित्र इसे अपनी जीत मान रहे हैं।
गौरतलब है कि राज्य सरकार ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के बाद एनसीटीई से वर्ष 2011 में अनुमति लेते हुए स्नातक पास शिक्षामित्रों को दो वर्षीय बीटीसी कराया। इसके बाद उन्हें सीधे सहायक अध्यापक के पद पर समायोजित कर दिया था। हाईकोर्ट ने इसे अवैध करार देते हुए कहा था कि टीईटी से छूट देने या नियमों को शिथिल करने का अधिकार केंद्र सरकार के पास है, न कि राज्य सरकार के पास। इसके बाद राज्य सरकार ने एनसीटीई से बीटीसी पास शिक्षामित्रों को टीईटी से छूट देने का अनुरोध किया था।


एनसीटीई के पत्र में कहा...
‘जो शिक्षक 25 अगस्त 2010 से पहले नियुक्त किए जा चुके हैं और सेवा में हैं, उन पर टीईटी क्वालिफाई करने की अनिवार्यता नहीं होगी। वे एनसीटीई नियमावली 2001 के अधीन माने जाएंगे। जो शिक्षक इस तारीख के बाद नियुक्त किए गए और सेवा में बने हुए हैं, उन्हें टीईटी पास करना अनिवार्य होगा। टीईटी किसी शिक्षक के लिए न्यूनतम योग्यता का एक पैमाना है, ऐसे में इसे लागू किया जाना चाहिए। अप्रशिक्षित शिक्षक (शिक्षामित्रों) की नियुक्ति की प्रक्रिया को त्रुटिहीन रखने की जिम्मेदारी प्रदेश सरकार की है। किसी सरकार, क्षेत्रीय निकाय या स्कूल ने अगर इस तारीख के पहले शिक्षक नियुक्ति का नोटिफिकेशन जारी किया था, तो उन्हें भी टीईटी से छूट मिलेगी।’




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