मुख्य सचिव ने लिखा एनसीटीई चेयरमैन को पत्र
शिक्षा मित्रों को TET से दें छूट
लखनऊ : प्रदेश सरकार ने राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) से अपील की है कि शिक्षा मित्रों को टीईटी से छूट दी जाए। मुख्य सचिव आलोक रंजन ने इसके लिए एनसीटीई के चेयरमैन को पत्र लिखा है। उन्होंने लिखा है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के बाद प्रदेश में शिक्षकों की भारी कमी हो जाएगी। वहीं शिक्षा मित्रों के प्रदर्शन और आत्मदाह की कोशिशों से प्रदेश में हालात खराब हो रहे हैं। प्रदेश सरकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट जाने के लिए विधिक सलाह भी ले रही है।
मुख्य सचिव की ओर से एनसीटीई चेयरमैन को भेजे गए पत्र में लिखा गया है कि प्रदेश के स्कूलों में आरटीई के अनुसार 1:40 का अध्यापक-छात्र अनुपात बनाए रखने के लिए सर्व शिक्षा अभियान के तहत लगभग 1.70 लाख शिक्षा मित्र रखे गए थे। इनकी संविदा के स्वतः नवीनीकरण का प्रावधान लागू किया गया था। आरटीई लागू होने के बाद राज्य सरकार ने शिक्षामित्रों की नई नियुक्तियां बंद कर दीं। आरटीई-2009 में प्रावधान था कि एक्ट के लागू होने के बाद कोई अध्यापक अप्रशिक्षित न रहे। प्रदेश में प्रशिक्षित शिक्षक पर्याप्त न होने के कारण इन शिक्षा मित्रों को दूरस्थ शिक्षा के तहत दो वर्षीय बीटीसी प्रशिक्षण भी करवाया जा चुका है। इसकी खुद एनसीटीई ने स्वीकृति दी थी
उत्तराखंड का दिया हवाला
पत्र में यह तर्क भी दिया गया है कि उत्तराखंड में शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक पद पर समायोजन किया जा चुका है। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में शिक्षामित्रों की स्थिति एक जैसी ही है। आरटीई के प्रभावी होने के पहले ही प्रदेश में शिक्षा मित्र लगभग 15-16 वर्षों से पढ़ा रहे हैं।
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