कदम-कदम पर सरकार को मिली शिकस्त
बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती सपा सरकार को रास नहीं आई। बगैर टीईटी 1.71 लाख शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक पद पर समायोजन निरस्त होना अब तक का सबसे बड़ा झटका है। एनसीटीई ने पूर्व में भी शिक्षक भर्ती के लिए टीईटी को अनिवार्य बताया था लेकिन सरकार ने शिक्षामित्रों को नियुक्ति पत्र जारी कर दिए।
2012 में सत्ता में आने के बाद सपा सरकार ने 72,825 प्रशिक्षु शिक्षकों के लिए आयोजित टीईटी-11 की जांच तत्कालीन मुख्य सचिव जावेद उस्मानी से कराई और उस्मानी कमेटी की संस्तुति पर टीईटी-11 की मेरिट की बजाय एकेडमिक रिकार्ड के आधार पर शिक्षकों की नियुक्ति करने का फैसला किया।
दिसम्बर 2012 में एकेडमिक रिकार्ड के आधार पर नियुक्ति की प्रक्रिया भी सरकार ने शुरू कर दी जिस पर हाईकोर्ट ने फरवरी 2013 में रोक लगा दी। इसके बाद नवंबर 2013 में हाईकोर्ट ने टीईटी मेरिट पर भर्ती के नवंबर 2011 के विज्ञापन को बहाल कर दिया। इसके खिलाफ सपा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका की।
लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए टीईटी-11 की मेरिट के आधार पर भर्ती के आदेश दिए। इसके बाद से अब तक सरकार 72,825 में से 58 हजार प्रशिक्षु शिक्षकों को नियुक्ति पत्र दे चुकी है। नवंबर 2014 में शुरू हुई 15 हजार सहायक अध्यापकों की भर्ती में भी सरकार की नहीं चली।
सरकार ने टीईटी/सीटीईटी पास बीटीसी व विशिष्ट प्रशिक्षुओं के लिए भर्ती शुरू कर दी थी। इसके खिलाफ डीएड स्पेशल एजुकेशन और बीएलएड प्रशिक्षुओं ने हाईकोर्ट में याचिका की तो कोर्ट ने इन डिग्रीधारियों को भी भर्ती में शामिल करने के आदेश दिए थे। इसके खिलाफ भी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल अपील की जो खारिज हो गई।
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