सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी सरकार
लखनऊ। शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक पद पर समायोजन रद्द करने के हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का विचार कर रही है। कानूनी पहलुओं पर राय लेने के बाद इस पर निर्णय लिया जाएगा।
बेसिक शिक्षा मंत्री राम गोविंद चौधरी का कहना है, हाईकोर्ट का फैसला देखा नहीं है बस केवल मीडिया से ही इसकी जानकारी मिली है। इसलिए फैसला देखने के बाद ही इस पर कुछ कहा जा सकता है। शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक पद पर समायोजन नियमों के दायरे में रखकर किया गया है। हाईकोर्ट का जो भी फैसला आया है उस पर कानूनी राय लेने के बाद आगे कदम उठाया जाएगा। प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा डिंपल वर्मा का भी यही कहना है।
अदालत में सुनवाई के दौरान ही पूरा हो गया दो चरणों का समायोजन
हाईकोर्ट में शिक्षा मित्रों को बिना टीईटी पास किए ही सहायक अध्यापक पद पर समायोजित किए जाने पर सुनवाई के दौरान एनसीटीई ने अपना पक्ष रखते हुए इन्हें संविदा कर्मी माना। हाईकोर्ट में एनसीटीई के पक्ष रखने के बाद राज्य सरकार ने वर्ष 2014 में पहले चरण में 58,826 शिक्षा मित्रों को समायोजित करने की प्रक्रिया पूरी कर डाली। हालांकि, बेसिक शिक्षा विभाग के कुछ अधिकारी शिक्षा मित्रों को बिना टीईटी पास किए सहायक अध्यापक के पद पर समायोजित करने के पक्ष में नहीं थे, लेकिन दबाव के चलते पहले चरण में 58,826 और दूसरे चरण में 77,000 शिक्षा मित्रों को समायोजित कर दिया गया।
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