एलटी ग्रेड अध्यापकों को राहत, नियुक्ति वर्ष से जोड़ा जाएगा प्रोन्नति में अनुभव
इलाहाबाद। माध्यमिक विद्यालयों में एलटी ग्रेड से प्रवक्ता के पद पर प्रोन्नति पाने वालों के लिए राहत भरी खबर है। हाईकोर्ट ने कहा कि अध्यापकों के पास
प्रोन्नति पाने वाले वर्ष में पांच वर्ष के शिक्षण का अनुभव होना चाहिए न कि पद रिक्त होते समय। इससे पूर्व पांच वर्ष का अनुभव पद रिक्त होने की तिथि पर होना अनिवार्य था। इस फैसले से ऐसे शिक्षकों को लाभ मिलेगा जो पद रिक्त के समय कम अनुभव होने के कारण प्रोन्नति से वंचित रह जाते थे। इस विषय पर पूर्व में हाईकोर्ट की खंडपीठ और पूर्णपीठ के विपरीत फैसले थे। कानपुर के विजय सोनकर की विशेष अपील पर सुनवाई करते हुए मुुख्य न्यायमूर्ति डॉ. डीवाई चंद्रचूड और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की पीठ ने यह फैसला बुधवार को सुनाया।
याची के वकील अनूप त्रिवेदी ने एकल पीठ के निर्णय को चुनौती देते हुए कहा कि माध्यमिक शिक्षा सेवा एक्ट 1982 के रूल में संशोधन हो चुका है और रूल 1998 में कहा गया है कि प्रवक्ता के पद पर प्रोन्नत होने के लिए अन्य बातों के अलावा पांच वर्ष नियमित अध्यापन का अनुभव होना चाहिए। पांच वर्ष के अनुभव नियुक्ति वर्ष की प्रथम तिथि से जोड़ा जाएगा। सुभाष प्रसाद बनाम उत्तर प्रदेश राज्य के मामले में हाईकोर्ट की खंडपीठ ने नियुक्ति वर्ष का अर्थ पद रिक्त होने की तिथि से लगाया है, जबकि रईसुलहसन बनाम उत्तर प्रदेश राज्य के मामले में हाईकोर्ट की पीठ ने नियुक्ति वर्ष का अर्थ प्रवक्ता पद पर प्रोन्नति होने वाले वर्ष को माना है।
प्रोन्नति पाने वाले वर्ष में पांच वर्ष के शिक्षण का अनुभव होना चाहिए न कि पद रिक्त होते समय। इससे पूर्व पांच वर्ष का अनुभव पद रिक्त होने की तिथि पर होना अनिवार्य था। इस फैसले से ऐसे शिक्षकों को लाभ मिलेगा जो पद रिक्त के समय कम अनुभव होने के कारण प्रोन्नति से वंचित रह जाते थे। इस विषय पर पूर्व में हाईकोर्ट की खंडपीठ और पूर्णपीठ के विपरीत फैसले थे। कानपुर के विजय सोनकर की विशेष अपील पर सुनवाई करते हुए मुुख्य न्यायमूर्ति डॉ. डीवाई चंद्रचूड और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की पीठ ने यह फैसला बुधवार को सुनाया।
याची के वकील अनूप त्रिवेदी ने एकल पीठ के निर्णय को चुनौती देते हुए कहा कि माध्यमिक शिक्षा सेवा एक्ट 1982 के रूल में संशोधन हो चुका है और रूल 1998 में कहा गया है कि प्रवक्ता के पद पर प्रोन्नत होने के लिए अन्य बातों के अलावा पांच वर्ष नियमित अध्यापन का अनुभव होना चाहिए। पांच वर्ष के अनुभव नियुक्ति वर्ष की प्रथम तिथि से जोड़ा जाएगा। सुभाष प्रसाद बनाम उत्तर प्रदेश राज्य के मामले में हाईकोर्ट की खंडपीठ ने नियुक्ति वर्ष का अर्थ पद रिक्त होने की तिथि से लगाया है, जबकि रईसुलहसन बनाम उत्तर प्रदेश राज्य के मामले में हाईकोर्ट की पीठ ने नियुक्ति वर्ष का अर्थ प्रवक्ता पद पर प्रोन्नति होने वाले वर्ष को माना है।
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