Wednesday, 26 July 2017

UP Shikshamitra Latest News : सरकार के पाले में 'वेटेज' की गेंद

शिक्षामित्र मामला : सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बढ़ सकती है मुसीबत 


लखनऊ : सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने शिक्षामित्रों के साथ ही योगी सरकार की भी मुसीबत बढ़ा दी है। कोर्ट ने वेटेज व उम्र में छूट जैसी विशेष व्यवस्था करने के लिए राज्य सरकार को कहकर गेंद उसके पाले में डाल दी है। सरकार के लिए अगली भर्तियों में नए आवेदकों के अनुपात में शिक्षामित्रों के लिए वेटेज तय करना इतना आसान
नहीं होगा। वेटेज ज्यादा होने पर नए आवेदक फिर कोर्ट जा सकते हैं।
बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में शिक्षामित्रों के मसले का न्यायिक तौर पर हल कराने का वादा किया था। सरकार को उम्मीद थी कि सुप्रीम कोर्ट से शिक्षामित्रों को राहत मिल जाएगी और अगर कोर्ट सीधे तौर पर रिजेक्ट करती है तब भी उस पर बहुत दबाव नहीं होगा। अब कोर्ट ने वेटेज का पेंच फंसा कर मुश्किल बढ़ा दी है। सबसे अहम बात यह है कि बेसिक शिक्षा विभाग का दावा है कि उसके पास करीब 65 हजार शिक्षक सरप्लस हैं। ऐसे में करीब 1.35 लाख शिक्षामित्र जो सहायक अध्यापक बनाए जा चुके हैं उनके पद को रिक्त मान लेने पर भी महज 70 हजार ही पदों पर भर्ती की गुंजाइश होगी। ऐसे में सीधी भर्ती पर भी सभी शिक्षामित्रों की नियुक्ति हो पाना असंभव है। पिछली बार भी मामला कोर्ट तक इसलिए पहुंचा था क्योंकि शिक्षामित्रों की सीधी भर्ती कर दूसरे योग्य अभ्यर्थियों को मौका नहीं दिया गया था। इसलिए वेटेज का अनुपात तय करना सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी। वहीं इसकी भी कोई गारंटी नहीं होगी कि वेटेज के बाद भी सभी समायोजित हुए शिक्षामित्र नियुक्त ही हो जाएंगे। करीब 40 हजार शिक्षामित्र ऐसे हैं जो टीईटी पास हैं। बाकी शिक्षामित्रों के सामने पहली चुनौती तो टीईटी पास करने की ही है। सरकार के फैसले शिक्षामित्रों के हक में नहीं गए तो फिर चुनावी नफा-नुकसान के तराजू में उसके तौले जाने का संकट बढ़ जाएगा।


एसएलपी दायर करेंगे शिक्षामित्र

फैसले से निराश शिक्षामित्रों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा फिर खटखटाने का फैसला किया है। जल्द ही फैसले का अध्ययन कर एसएलपी दाखिल की जाएगी। यूपी दूरस्थ बीटीसी शिक्षक संघ के अध्यक्ष अनिल कुमार यादव ने कहा कि निर्णय हमारे पक्ष में आने की उम्मीद थी लेकिन हमारे साथ अन्याय हुआ। हम जल्द ही इसको लेकर फिर सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। वहीं प्रदेश सरकार से भी जल्द टीईटी कराने और शिक्षामित्रों को विशेष वेटेज दिए जाने की भी मांग की जाएगी।

वोटबैंक ही ताकत और कमजोरी भी


शिक्षामित्रों का वोटबैंक में तब्दील होना उनकी ताकत और कमजोरी दोनों बन गई। 1.78 लाख शिक्षामित्रों के जरिए बीएसपी को लगा कि वह गांवों में एक बड़े वोटबैंक में पैठ बना सकती है। इसलिए सरकार जाते-जाते उन्होंने दूरस्थ बीटीसी प्रशिक्षण की कवायद शुरू कर दी जिससे चुनाव में फायदा मिल सके। अखिलेश यादव ने उनसे एक कदम आगे बढ़कर कह दिया कि शिक्षामित्रों को सरकार बनने पर सहायक शिक्षक बनाएंगे। शिक्षामित्रों के पास संख्या बल था और उन्होंने अखिलेश सरकार पर वादा पूरा करने का दबाव बनाना शुरू कर दिया। 2011 में ही यूपी में आरटीई लागू होने के साथ ही तय हो चुका था कि बना टीईटी किसी को शिक्षक नहीं बनाया जा सकेगा। बावजूद इसके बेसिक शिक्षा सेवा नियमावली 1981 में संशोधन कर शिक्षामित्रों को टीईटी से छूट दे दी गई। प्रक्रिया के दौरान शिक्षामित्रों के लिए विशेष टीईटी कराए जाने की भी बात उठी थी लेकिन शिक्षामित्रों के दबाव में सरकार ने अधिकारियों के सुझाव को दरकिनार कर दिया था। नियमविरुद्ध संशोधनों ने शिक्षामित्रों का भविष्य अब दांव पर लगा दिया है। इसके चलते वह शिक्षामित्र भी फंस गए हैं जो टीईटी पास हैं। उनके पास भी नई भर्तियों में शामिल होने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है।

No comments:

Post a Comment

Note: only a member of this blog may post a comment.

Latest Cut Off / Vigyapti