टीईटी-शैक्षणिक योग्यता के आधार पर भर्ती 66 हजार शिक्षकों की नियुक्ति सही
नई दिल्ली : 72 हजार शिक्षकों की भर्ती के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी में टीईटी और शैक्षणिक योग्यता के आधार पर नियुक्त किए गए 66 हजार शिक्षकों की नियुक्ति को हरी झंडी दे दी है। कोर्ट ने कहा कि इनकी नियुक्ति में वह दखल नहीं दे रहा है, ये टीचर काम करते रहेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बाकी बची सीटों के लिए यूपी सरकार विज्ञापन देकर भर्ती प्रक्रिया शुरू कर सकती है।
सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ताओं ने टीईटी और शैक्षणिक योग्यता के नियम का विरोध किया था। यूपी बेसिक एजुकेशन नियम 13 व 15 के तहत सिर्फ टीईटी के आधार पर टीचर की नियुक्ति संभव नही है। यूपी सरकार के इस नियम को इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी। हाई कोर्ट ने कहा था कि सरकार इस तरह का नियम नहीं बना सकती। इसके बाद यूपी सरकार ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। वहीं, टीईटी पास स्टूडेंट भी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए। उनका कहना था यूपी सरकार ने टीचर भर्ती के विज्ञापन में बाद में एजुकेशनल क्वालिफिकेशन को जोड़ा है।
सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ताओं ने टीईटी और शैक्षणिक योग्यता के नियम का विरोध किया था। यूपी बेसिक एजुकेशन नियम 13 व 15 के तहत सिर्फ टीईटी के आधार पर टीचर की नियुक्ति संभव नही है। यूपी सरकार के इस नियम को इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी। हाई कोर्ट ने कहा था कि सरकार इस तरह का नियम नहीं बना सकती। इसके बाद यूपी सरकार ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। वहीं, टीईटी पास स्टूडेंट भी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए। उनका कहना था यूपी सरकार ने टीचर भर्ती के विज्ञापन में बाद में एजुकेशनल क्वालिफिकेशन को जोड़ा है।
99 हजार टीचरों को भी राहत
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें यूपी के बेसिक एजुकेशन रूल के 15 वें व 16 वें संशोधन को रद कर दिया था। इन संशोधनों के जरिए 99 हजार टीचरों की नियुक्ति हुई थी। सुप्रीम कोर्ट ने इन संशोधनों को सही ठहराया है, यानी 99 हजार शिक्षकों की भर्ती कानूनी तौर पर सही है।
याचिकाकर्ता के वकील आरके सिंह ने बताया कि आरटीई के मुताबिक राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) का कहना था कि टीईटी के नंबरों का वेटेज अनिवार्य नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि राज्य सरकार ने बेसिक एजुकेशन रूल्स 1991 में जो 15 वां संशोधन किया था, वह एनसीटीई के नियम के विपरीत नहीं है। ऐसे में कानूनी तौर पर इन शिक्षकों की भर्ती सही है।
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें यूपी के बेसिक एजुकेशन रूल के 15 वें व 16 वें संशोधन को रद कर दिया था। इन संशोधनों के जरिए 99 हजार टीचरों की नियुक्ति हुई थी। सुप्रीम कोर्ट ने इन संशोधनों को सही ठहराया है, यानी 99 हजार शिक्षकों की भर्ती कानूनी तौर पर सही है।
याचिकाकर्ता के वकील आरके सिंह ने बताया कि आरटीई के मुताबिक राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) का कहना था कि टीईटी के नंबरों का वेटेज अनिवार्य नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि राज्य सरकार ने बेसिक एजुकेशन रूल्स 1991 में जो 15 वां संशोधन किया था, वह एनसीटीई के नियम के विपरीत नहीं है। ऐसे में कानूनी तौर पर इन शिक्षकों की भर्ती सही है।
एनसीटीई का पैमाना बाध्यकारी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नैशनल काउंसिल फॉर टीचर्स एजुकेशन (एनसीटीई) शैक्षणिक अथॉरिटी है। इसे शिक्षा के अधिकार के तहत बनाया गया है। एनसीटीई ने 2 सितंबर 2016 को कोर्ट को बताया था कि शिक्षकों के लिए टीईटी परीक्षा पास करना जरूरी है, लेकिन राज्य सरकार के लिए यह जरूरी नहीं है कि वह टीईटी के नंबर को वरीयता दे। टीईटी सिर्फ टीचर बनने की योग्यता भर है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे में राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वह इसके विपरीत नियम न बनाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एनसीटीई ने योग्यता का जो पैमाना तय किया है, वह बाध्यकारी है।
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.