विवि शिक्षकों की बल्ले-बल्ले, 10 हजार तक बढ़ी सैलरी
कानपुर :छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय ने कैंपस के शिक्षकों को होली से पहले खुशखबरी दी है। लंबे समयान्तराल से वेतन में बढ़ोतरी की आस लगाए सेल्फ फाइनेंस शिक्षकों के वेतन में बढ़ोतरी की गई है। कार्यपरिषद की बैठक में शिक्षकों के वेतन में इजाफा करने का निर्णय किया है।विश्वविद्यालय के इस फैसले से लगभग दो सौ शिक्षक लाभान्वित हुए हैं। सेल्फ फाइनेंस के स्थायी रीडर के वेतन में दस हजार रुपए की बढ़ोतरी की गई है, वहीं लेक्चरर के वेतन में आठ हजार रुपए का इजाफा किया गया है। मानदेय पर आठ साल से अधिक शिक्षण कार्य करने वाले शिक्षकों के वेतन में बीस फीसदी का इजाफा किया गया है जबकि इससे कम समय से शिक्षण कार्य करने वाले शिक्षकों के वेतन में दस फीसदी की बढ़ोतरी की गई है
फिक्स शिक्षकों में मायूसी:हालांकि फिक्स शिक्षकों को पांच साल के लिए स्थायी किए जाने वाले जीओ पर निर्णय न होने से शिक्षकों में मायूसी भी दिखाई दे रही है। शासन ने जुलाई में जारी शासनादेश में सेल्फ फाइनेंस विभाग के शिक्षकों को विभाग की आमदनी का 80 फीसदी धनराशि को वेतन के रूप में देने का निर्देश दिया था। कई विश्वविद्यालयों में इसका कड़ाई से पालन भी किया गया। विश्वविद्यालय प्रशासन लगातार शिक्षकों को 80 फीसदी वेतन देने का आश्वासन भी दे रहा था, लेकिन इसके बाद भी महज दस फीसदी का इजाफा किया।
कर्मचारियों का मामला फिर लटका : कर्मचारियों ने इस साल से स्नातक फाइनल में मार्कशीट छापे जाने पर तीनों साल का पारिश्रम एक साथ मांगा था। इसकी वजह से विश्वविद्यालय में दो दिन हड़ताल भी रही थी। आलाधिकारियों के आश्वासन पर कर्मचारियों ने हड़ताल बंद की थी। लेकिन कर्मचारियों का मामला फिर एक बार लटक गया है। विचार-विमर्श के बाद मामला वित्त समिति की बैठक में भेजने पर सहमति जताई गई है।
प्रो. कुश के रिटायमेंट पर चर्चा: विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभागाध्यक्ष पीके कुश के रिटायमेंट पर मिलने वाले फंड पर विचार किया गया। प्रो. कुश पहले अलीगढ़ के डीएस कॉलेज में रीडर थे। 27 साल के कार्यकाल का फंड वहां जमा हुआ अब पेंशन देने का नंबर विश्वविद्यालय का आ रहा है। जबकि उन्होंने विश्वविद्यालय में महज पांच साल सेवाएं दी हैं। विश्वविद्यालय ने उनके फंड को ट्रांसफर करने के लिए शासन को पत्र भेजने की तैयारी की है।
जीओ पर चल रहा मंथन:शासन ने हाईकोर्ट के आदेश पर विश्वविद्यालय में मानदेय पर नियुक्त किए गए शिक्षकों को पांच साल के लिए स्थायी करने का निर्देश दिए हैं। अभी तक इन शिक्षकों के कार्यकाल में छह-छह महीने की बढ़ोतरी की जा रही है। लेकिन शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया में समानता न होने की वजह से शासनादेश पर मंथन चल रहा है।
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