नगर निगम शिक्षकों के शासन ने 29 करोड़ दबाए
कानपुर :एक समय था जब नगर निगम के प्रबंधन वाले माध्यमिक शिक्षकों को समय से वेतन नहीं मिलता था। इससे निपटने के लिए शासन से समझौता हुआ इन विद्यालयों के शिक्षकों को वेतन वितरण अधिनियम के तहत ले लिया गया। वेतन तो मिलता रहा लेकिन शासन ने अपने वादे के 29 करोड़ की रकम नहीं दी। नगर निगम इससे नाराज है। निगम ने हाथ खींचे तो शिक्षकों को एक बार फिर वेतन के लाले पड़ सकते हैं। वर्ष 2006 में शासन स्तर पर एक बैठक हुई थी। इसमें नगर निगम के संचालित सात हाईस्कूल और इण्टर कॉलेजों के अध्यापकों और कर्मचारियों के वेतन भुगतान और पेंशन को वेतन वितरण अधिनियम में लाने के लिए तीन पक्षों में समझौता हुआ था। नए समझौते के अनुसार इन स्कूल-कॉलेजों में प्रबंधन नगर निगम का रहेगा लेकिन वेतन शिक्षा विभाग देगा। पहले नगर निगम अपने शिक्षकों और कर्मचारियों को वेतन देता था। इस तरह यह अनुदानित मान्यता प्राप्त विद्यालयों की लिस्ट में शामिल हो गया।
चार साल मिला शत प्रतिशत अनुदान : नए नियम के अनुसार वर्ष 2000-01 से शिक्षा विभाग को नगर निगम विद्यालयों के लिए शत प्रतिशत अनुदान देना था। जिला विद्यालय निरीक्षक के माध्यम से 2000-01 से 2005-06 तक की 50 प्रतिशत अवशेष धनराशि करीब 7.12 करोड़ से अधिक में से 3.00 करोड़ तथा वित्तीय वर्ष 2006-07 से 2009-10 तक शत प्रतिशत अनुदान रिलीज किया गया। वर्ष 2010-11 से अब तक कोई अनुदान नहीं दिया गया है।
25 नए शिक्षकों की नियुक्ति भी : सत्र 2000-01 से 2005-06 तक की अवशेष 50 फीसदी राशि का भुगतान होना था। समझौते के अनुसार नए शिक्षकों की नियुक्तियां भी शिक्षा सेवा चयन बोर्ड से होनी थीं। बोर्ड ने 25 नए शिक्षकों की नियुक्तियां कीं और इन्हें नगर निगम के साथ विद्यालयों में समायोजित कर दिया गया था।
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