महाविद्यालयों से हटेंगे फर्जी शिक्षक
इलाहाबाद । अनुमोदित शिक्षकों की जगह महाविद्यालयों में शिक्षण कार्य कर रहे फर्जी शिक्षकों की फौज बहुत जल्द कॉलेज परिसर से बाहर होगी। स्ववित्तपोषित व अनुदानित महाविद्यालयों में स्ववित्त पाठ्यक्रमों के शिक्षकों की तैनाती में प्रबंधकों के खेल पर अवध विश्वविद्यालय ने ब्रेक लगाने का मजबूत प्रबंध किया है। दस जुलाई तक उन सभी कॉलेजों के अनुमोदित शिक्षकों का फोटो युक्त केंद्रीयकृत ब्योरा आनलाइन किए जाने का आदेश विश्वविद्यालय ने जारी किया है।
तमाम स्वत्तिपोषित व अनुदानित महाविद्यालयों के प्रबंधक स्ववित्त पाठ्यक्रमों की शिक्षा के लिए डिग्रीधारी योग्य शिक्षकों का प्रमाण पत्र लगाकर अनुमोदन प्राप्त कर विषयों की मान्यता ले लेते हैं। ऐसे अधिकांश शिक्षक अपना प्रमाण पत्र कई कॉलेजों में रेवड़ी की तरह बांट रखे हैं। ऐसे शिक्षक हर कॉलेजों में शिक्षण कार्य के लिए पहुंच नहीं सकते, इसलिए उन महाविद्यालयों के प्रबंधक कम पैसे में उनकी जगह दूसरे लोगों को रखकर शिक्षण कार्य करा रहे हैं। जबकि कागज पर उन अनुमोदित शिक्षकों का ही नाम चलता रहता है। इससे शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। इस खेल पर पाबंदी लगाने के लिए शासन के निर्देश पर अवध विश्वविद्यालय ने नया तरीका ईजाद किया है। विवि ने आदेश जारी किया है कि स्ववित्तपोषित तथा अनुदानित महाविद्यालयों में स्ववित्त पाठ्यक्रमों के शिक्षकों का केंद्रीयकृत फोटो युक्त ब्योरा आनलाइन किया जाए। एक जुलाई 2015 को जारी इस आदेश में सख्त निर्देश है कि यह काम सभी कॉलेज हर हाल में दस जुलाई तक पूरा करें। इन शिक्षकों का डाटा आनलाइन होने के बाद विश्वविद्यालय उन शिक्षकों का मिलान नेट पर दूसरे कॉलेजों के शिक्षकों से कराएगा। इस बीच जिस शिक्षक का प्रमाण पत्र दो-दो या इससे अधिक कॉलेजों में लगा पाया गया, उसके व उस कॉलेज के खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू होगी। इस बारे में एमडीपीजी कॉलेज के जनसूचना अधिकारी डॉ. सीएन पांडेय ने बताया कि विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर इस आशय का निर्देश एक जुलाई को जारी है।
विश्व विद्यालय की सख्ती से पड़ेगा यह असर
•महाविद्यालयों में अनुमोदित की जगह फर्जी शिक्षकों पर लगाम।
•कॉलेजों में शिक्षा की गुणवत्ता में भी काफी हद तक होगा सुधार।
•योग्य शिक्षकों के जरिए साइलेंट डिग्री व्यापार पर लगेगा अंकुश।
•प्रबंधकों को देना पड़ेगा उन शिक्षकों को पढ़ाने के लिए पूरा हक।
•अनुमोदित शिक्षकों की संख्या के आधार पर ही होगा प्रवेश।
•स्ववित्त व अनुदानित कॉलेजों के प्रबंधकों पर कसा शिकंजा
•प्रबंधकों के खेल को लेकर सख्त हुआ अवध विश्वविद्यालय
•अनुमोदित शिक्षकों का ब्योरा आनलाइन करने का आदेश
तमाम स्वत्तिपोषित व अनुदानित महाविद्यालयों के प्रबंधक स्ववित्त पाठ्यक्रमों की शिक्षा के लिए डिग्रीधारी योग्य शिक्षकों का प्रमाण पत्र लगाकर अनुमोदन प्राप्त कर विषयों की मान्यता ले लेते हैं। ऐसे अधिकांश शिक्षक अपना प्रमाण पत्र कई कॉलेजों में रेवड़ी की तरह बांट रखे हैं। ऐसे शिक्षक हर कॉलेजों में शिक्षण कार्य के लिए पहुंच नहीं सकते, इसलिए उन महाविद्यालयों के प्रबंधक कम पैसे में उनकी जगह दूसरे लोगों को रखकर शिक्षण कार्य करा रहे हैं। जबकि कागज पर उन अनुमोदित शिक्षकों का ही नाम चलता रहता है। इससे शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। इस खेल पर पाबंदी लगाने के लिए शासन के निर्देश पर अवध विश्वविद्यालय ने नया तरीका ईजाद किया है। विवि ने आदेश जारी किया है कि स्ववित्तपोषित तथा अनुदानित महाविद्यालयों में स्ववित्त पाठ्यक्रमों के शिक्षकों का केंद्रीयकृत फोटो युक्त ब्योरा आनलाइन किया जाए। एक जुलाई 2015 को जारी इस आदेश में सख्त निर्देश है कि यह काम सभी कॉलेज हर हाल में दस जुलाई तक पूरा करें। इन शिक्षकों का डाटा आनलाइन होने के बाद विश्वविद्यालय उन शिक्षकों का मिलान नेट पर दूसरे कॉलेजों के शिक्षकों से कराएगा। इस बीच जिस शिक्षक का प्रमाण पत्र दो-दो या इससे अधिक कॉलेजों में लगा पाया गया, उसके व उस कॉलेज के खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू होगी। इस बारे में एमडीपीजी कॉलेज के जनसूचना अधिकारी डॉ. सीएन पांडेय ने बताया कि विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर इस आशय का निर्देश एक जुलाई को जारी है।
विश्व विद्यालय की सख्ती से पड़ेगा यह असर
•महाविद्यालयों में अनुमोदित की जगह फर्जी शिक्षकों पर लगाम।
•कॉलेजों में शिक्षा की गुणवत्ता में भी काफी हद तक होगा सुधार।
•योग्य शिक्षकों के जरिए साइलेंट डिग्री व्यापार पर लगेगा अंकुश।
•प्रबंधकों को देना पड़ेगा उन शिक्षकों को पढ़ाने के लिए पूरा हक।
•अनुमोदित शिक्षकों की संख्या के आधार पर ही होगा प्रवेश।
•स्ववित्त व अनुदानित कॉलेजों के प्रबंधकों पर कसा शिकंजा
•प्रबंधकों के खेल को लेकर सख्त हुआ अवध विश्वविद्यालय
•अनुमोदित शिक्षकों का ब्योरा आनलाइन करने का आदेश
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